जानें वेजिटेरियन खाना क्यों है बेहतर
वायरल इंफेक्शन का खतरा होता है कमसाल 2013 में आई यूनाइटेड नेशंस की संस्था फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में 90 फीसदी से ज्यादा मांस फैक्ट्री फार्म से आता है. इन फार्म्स में जानवरों को ठूंस-ठूंसकर रखा जाता है और यहां साफ-सफाई का भी ध्यान नहीं रखा जाता. इस वजह से वायरल डिसीज फैलने का खतरा बढ़ जाता है. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार नॉन-वेज खाने से कई प्रकार की बीमारियां हो सकती हैं. हाल ही में गुजरात में फैली वायरल डिसीज कांगो फीवर में भी संक्रमित जानवरों से इंसान को खतरा बताया गया है.
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दिल खुश रहता है
नॉनवेज के मुकाबले वेजिटेरियन डाइट आपको ज्यादा स्वस्थ रखती है. इस पर रिसर्च की मुहर भी लग चुकी है. अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रीशन में प्रकाशित रिसर्च कहती है कि हृदय रोगों का खतरा घटाना है तो शाकाहारी खाना जरूर खाएं. वहीं इंग्लैंड और स्कॉटलैंड में 44,561 लोगों पर रिसर्च किया गया. इसमें सामने आया कि नॉन-वेजिटेरियन के मुकाबले जो लोग वेजिटेरियन डाइट ले रहे थे उनमें हृदय रोगों के कारण हॉस्पिटल में भर्ती होने की आशंका 32 फीसदी तक कम है. इनमें कोलेस्ट्रॉल का लेवल और ब्लड प्रेशर दोनों ही कम था.
कैंसर का खतरा कम
अब तक कई ऐसी रिसर्च सामने आ चुकी हैं जो कहती हैं कि खाने में अगर फल और सब्जियों की मात्रा बढ़ाते हैं तो कैंसर का खतरा कम हो जाता है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में हुई रिसर्च के मुताबिक, अगर डाइट से रेड मीट को हटा देते हैं तो कोलोन कैंसर होने का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है.
डायबिटीज कंट्रोल में रहता है
वियतनाम के मेडिकल न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. बिस्वरूप चौधरी के अनुसार अगर ब्लड शुगर कंट्रोल करना चाहते हैं तो दिनभर की डाइट में 50 फीसदी से ज्यादा फल और सब्जियों का सेवन करें. इसके बाद ही खाने में अनाज शामिल करें. नॉनवेज, अंडा, मछली, मक्खन और रिफाइंड फूड लेने से बचें. ऐसा करते हैं तो ब्लड शुगर काफी हद तक कम किया जा सकता है.
क्यों मनाते हैं वर्ल्ड वेजिटेरियन डे
दुनियाभर के लोगों को शाकाहारी खाना खाने के लिए प्रेरित करने और इसके फायदे बताने के लिए वर्ल्ड वेजिटेरियन डे की शुरुआत हुई. 1 अक्टूबर 1977 को नॉर्थ अमेरिकन वेजिटेरियन सोसायटी ने यह पहल शुरू की. इसका लक्ष्य लोगों को यह भी समझाना था कि वेजिटेरियन डाइट नॉनवेज फूड से ज्यादा हेल्दी है. वेजिटेरियन डाइट बॉडी में अधिक फैट नहीं बढ़ाती और हृदय रोगों का खतरा कम करती है. इसमें मौजूद फायबर और एंटीऑक्सीडेंट्स में कैंसर से लड़ने की क्षमता होती है.
क्या होगा अगर सभी वेजिटेरियन बन जाएं?
साल 2016 में नेशनल अकादमी ऑफ साइंस की एक स्टडी में कहा गया था कि अगर दुनिया की सारी आबादी मांस छोड़कर सिर्फ शाकाहारी खाना खाने लगे तो साल 2050 तक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में 70 फीसदी तक की कमी आ सकती है. अनुमानिक तौर पर दुनिया में 12 अरब एकड़ जमीन खेती और उससे जुड़े काम में इस्तेमाल होती है. इसमें से भी 68 फीसदी जमीन जानवरों के लिए इस्तेमाल होती है.
अगर सब लोग वेजिटेरियन बन जाएं तो 80 फीसदी जमीन जानवरों और जंगलों के लिए इस्तेमाल में लाई जाएगी. इससे कार्बन डायऑक्साइड की मात्रा कम होगी और क्लाइमेट चेंज से निपटने में मदद मिलेगी. बाकी बची हुई 20 फीसदी जमीन का इस्तेमाल खेती के लिए हो सकेगा. जबकि अभी जितनी जमीन पर खेती होती है, उसके एक-तिहाई हिस्से पर जानवरों के लिए चारा उगाया जाता है.
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वेजिटेरियन और वेगन डाइट में फर्क
वेगन और वेजिटेरियन डाइट में एक बड़ा अंतर है. वेगन डाइट में ज्यादातर ऐसे फूड शामिल हैं जो पेड़े-पौधों से सीधे तौर पर मिलते हैं. वेगन डाइट में एक बात का खासतौर पर ध्यान दिया जाता है कि जो भी फूड ले रहे हैं वो रसायनिक पदार्थों से तैयार न हुए हों यानी ऑर्गेनिक फार्मिंग से तैयार होने वाले फूड होने चाहिए.