नई दिल्ली. भारत में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) को लेकर दहशत है. कोरोना के इस नए वेरिएंट (Coronavirus New Variant in India) ने देखते ही देखते देश में 200 से ज्यादा लोगों को संक्रमित कर दिया है. देश के 12 राज्यों में अब तक ओमिक्रॉन के मरीज मिल चुके हैं. इस बीच नेशनल कोविड-19 सुपर मॉडल कमिटी (National Covid-19 Supermodel Committee) का आंकलन आया है. कमिटी की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कोरोना की तीसरी लहर (Third Wave of Corona) अगले साल यानी 2022 के फरवरी में आ सकती है. हालांकि, कमिटी ने भारत में सीरो रिपोर्ट का हवाला देते हए कहा है कि देश में तीसरी लहर दूसरी लहर के मुकाबले कम खतरनाक होगी. लेकिन, कमिटी के इस रिपोर्ट पर देश-विदेश खासकर ब्रिटेन (UK) के डॉक्टरों का नजरिया अलग है. इन डॉक्टरों का मानना है कि यह जरूरी नहीं है कि भारत में ओमिक्रॉन कम ही खतरनाक होगा. डॉक्टरों ने अल्फा और डेल्टा वेरिएंट का उदाहरण देते हुए अपनी राय दी है.
नेशनल कोविड-19 सुपर मॉडल कमिटी के प्रमुख विद्यासागर के मुताबिक, ‘भारत में कोरोना के रोजाना मामले 7,500 के करीब आ रहे हैं. अगर एक बार ओमिक्रॉन वेरिएंट डेल्टा वेरिएंट को रिप्लेस करना शुरू करेगा तो संक्रमितों के आंकड़ें तेजी से बढ़ेंगे. ऐसा इसलिए भी क्योंकि ओमिक्रॉन वेरिएंट डेल्टा या किसी अन्य के मुकाबले ज्यादा तेजी से फैलता है. इसलिए कोरोना की तीसरी लहर का कारण ओमिक्रॉन ही बनेगा.
नेशनल कोविड-19 सुपर मॉडल कमिटी की रिपोर्ट के ये हैं मायने
हालांकि, विद्यासागर रिपोर्ट में सीरो सर्वे को आधार मान रहे हैं. इनका कहना है कि देश में बहुत कम ही लोग ऐसे हैं, जो अभी तक डेल्टा वेरिएंट यानी कोरोना की दूसरी लहर के चपेट में नहीं आए हैं. ऐसे में तीसरी लहर ज्यादा खतरनाक नहीं होगा. साथ ही तीसरी लहर का सामना करने के लिए देश पहले से ही पूरी तरह से तैयार है. तीसरी लहर से पहले ही स्वास्थ्य क्षमताओं में काफी इजाफा कर लिया गया है.
भारत में तीसरी लहर के बारे में लंदन के डॉक्टर की राय
भारतीय मूल के कुछ विदेशी डॉक्टर कमिटी की रिपोर्ट से इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं. भारतीय मूल के नेशनल हेल्थ सर्विस लंदन के डॉक्टर वीर पुष्पक गुप्ता एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में कहते हैं, ‘ये उनका आंकलन होगा, लेकिन यूके में अल्फा वेरिएंट और डेल्टा वेरिएंट से काफी इंफेक्शन हुए थे. उस समय यूके की पूरी पॉपुशलेशन एक्सपोज हो गई थी, लेकिन ओमिक्रॉन वेरिएंट के साथ समस्या यह है कि वह एंटीबॉडी पर भी चोट करता है. जहां तक सीरो पॉजिटिविटी रेट के आधार पर कमिटी का यह कहना कि ओमिक्रॉन भारत में खतरनाक नहीं होगा. यह कहना मेरे समझ से ठीक नहीं है. आप भारत की जनसंख्या देखें. भारत की हेल्थ स्ट्रक्चर अभी भी उतना अच्छा नहीं है. आपको याद है कि डेल्टा वेरिएंट के वक्त भारत में क्या हुआ था? अगर भारत की टोटल जनसंख्या का 25 प्रतिशत भी संक्रमित होती है तो या मान लीजिए कि इससे प्रभावित होगा तो हिंदुस्तान का हेल्थ सिस्टम पूरा चरमरा जाएगा.’

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गुप्ता आगे कहते हैं, ‘इससे ज्यादा मुझे सबसे ज्यादा डर है कि जब ओमिक्रॉन और डेल्टा एक पॉपुलेशन में एक साथ आक्रमण करेंगे या दोनों मिक्स कर एक नया वेरिएंट बना दें तो ज्यादा चांस है कि वह भारत में ज्यादा लोगों को संक्रमित करेगा. आपको याद है कि कुछ महीने पहले ही ब्रिटने में अल्फा वेरिएंट देखा गया था और वह बाद में यह इंडिया पहुंच गया. तब ज्यादा लोगों ने उस पर ध्यान नहीं दिया और वह ज्यादा लोगों को संक्रमित किया तो वह डेल्टा वेरिएंट में तब्दील हो गया. साथ ही आपको पता है कि डेल्टा कितना खतरनाक वेरिएंट है, जिसको अभी तक हमलोग डील कर रहे हैं. ओमिक्रॉन यूके में बुस्टर डोज लेने वालों को ज्यादा संक्रमित नहीं कर रहा है. बुस्टर वैक्सीनेशन पर इस वेरिएंट पर 80 प्रतिशत से ज्यादा लोगों में रिस्पोंस मिला है. आपके शरीर के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता होना भी एक बहुत बड़ा फैक्टर है. इसलिए भारत में एक बार फिर से मास्क लगाना अनिवार्य करना चाहिए साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग और बुस्टर डोज जल्द से जल्द कर देना चाहिए.’
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