Mental Health Problems: कोरोना महामारी (Corona Pandemic) ने पूरी दुनिया को अस्थिर कर दिया है. इस बीमारी की वजह से सभी जगह डर का माहौल बना हुआ है. बीते दो सालों में लोगों ने काफी कुछ देखा है. इसका सीधा असर अब उनकी मेंटल हेल्थ पर भी दिखाई देने लगा है. दुनिया के सुपरपॉवर देश कहे जाने वाले अमेरिका ने इस बीमारी का सबसे भयावह रूप देखा है, यहां लाखों लोग कोरोना की वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं. इसका असर अब लोगों में अन्य बीमारियों के रूप में भी सामने आने लगा है. अमेरिकियों में अब सबसे ज्यादा मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याएं सामने आ रही हैं और इसने भी एक ‘नई महामारी’ का रुप ले लिया है. सबसे ज्यादा चिंता की बात ये है कि ये बीमारी सिर्फ
बड़ो को ही अपनी जद में नहीं ले रही है बल्कि बच्चे भी बेचैनी, चिंता और अवसाद जैसी परेशानियों का सामना कर रहे हैं.
दैनिक भास्कर में छपी खबर के अनुसार न्यूयॉर्क टाइम्स ने 1320 मेंटल हेल्थ डॉक्टर्स और पेशेवरों से चर्चा कर एक सर्वे किया है. इसमें विशेषज्ञों से पूछा गया कि महामारी में लगाए गए कड़े प्रतिबंधों में ढील दिए जाने के बाद उनके मरीजों की स्थिति कैसी है. इस सवाल पर बड़ी चौंकाने वाली जानकारी सामने आई की ज्यादातर लोग चिंता, बैचेनी और अवसाद से ग्रसित पाए गए. बच्चे भी इससे पीड़ित पाए गए. सर्वे के दौरान चार में से एक डॉक्टर ने बताया कि उनके पास आने वाले लोग सुसाइड की भावनाओं को लेकर एडवाइज लेने आए थे.
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मनोरोग विशेषज्ञ एन कॉमपेगमना डॉल के अनुसार कोरोना के बाद से ही लोग काफी हताश नजर आ रहे हैं. कई लोग दुखी भी हैं. उनकी एक मरीज ने कहा कि उसे गंभीर सड़क दुर्घटना जैसा अनुभव होता है तो वहीं एक अन्य मरीज इतनी डर गई है कि वह अब घर से बाहर निकलने से भी कतराती है. 10 में से 9 मेंटल हेल्थ एडवाइज़र्स ने बताया कि दवा लेने वाले मरीजों की संख्या बढी है. इनमें से 13 फीसदी पेशेवरों ने बताया कि उनकी प्रैक्टिस मुख्य रुप से बच्चों पर केंद्रित रही है.
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बर्कले, कैलिफोर्निया में क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट पूजा शर्मा कहती हैं कि मेंटल हेल्थ की परेशानी से जुड़े मरीजों के उनके पास लगातार फोन आते रहते हैं और उनके पास मरीजों को देखने के लिए समय नहीं है. सर्वे में शामिल डॉक्टर्स, पेशेवरों ने बताया कि उनके पास अब पहले के मरीजों के अलावा नए मरीज भी आ रहे हैं. इनमें से ज्यादातर मरीज बीते 18 महीनों में सामने आई परेशानियों जैसे आर्थिक तंगी, बैचेनी, नशे की लत, नौकरी की चिंता से प्रभावित हैं. 75 फीसदी से ज्यादा पेशेवरों ने यह भी बताया कि मरीजों के लिए अब वैटिंग टाइम बढ़ गया है. तीन में से एक डॉक्टर ने बताया कि अपाइंटमेंट के लिए वैटिंग टाइम अब 3 महीने तक का हो गया है.
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