नई दिल्लीः अलग-अलग क्षेत्रों में तरह-तरह की मिट्टी पाई जाती है. कहीं काली मिट्टी तो कहीं लाल या फिर पीली मिट्टी, जलोढ़ और लेटराईट मिट्टी मिलती है. इन सभी मिट्टियों में अलग-अलग गुण हैं और इनके अलग-अलग फायदे भी है. इसलिए हम आपको काली मिट्टी के फायदे के बारे में बताने जा रहे हैं. काली मिट्टी ( black soil ) सबसे ज्यादा उपजाऊ है और मालवा के पठारों में पाई जाती है. काली मिट्टी को रेगुर मिट्टी, चिकनी मिट्टी, कपास मिट्टी या लावा मिट्टी भी कहा जाता है.
मिट्टी औषधीय गुणों से भरपूर होती है. प्राचीन समय से कई समस्याओं के लिए प्राकृतिक उपचार के तौर पर मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता रहा है. आयुर्वेद ( ayurveda ) में मिट्टी का लेप लगाकर कई बीमारियों का इलाज किया जाता है. इसके पीछे मान्यता यह है कि हमारा शरीर पंच तत्वों से मिलकर बना है, जिसमें से एक मिट्टी भी है.
मिट्टी में से कई तरह के पोषक तत्व अनाज के माध्यम से हमारे शरीर में पहुंचते हैं और शरीरिक विकास में मदद करते हैं. इसी तरह काली मिट्टी के भी अपने फायदे हैं, इसे आयुर्वेद में स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद बताया गया है.
काली मिट्टी का रंग काला होने के कारण इसमें आयरन ( iron ) की मात्रा अधिक होती है. शरीर में खून बनाने की प्रक्रिया में आयरन काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसे में जिन लोगों में हीमोग्लोबीन ( haemoglobin) की कमी होती है, उनके लिए काली मिट्टी का उपचार फायदेमंद साबित हो सकता है.
ये भी पढ़ेंः बस इन घरेलू उपायों को अपनाएं और आंखों की जलन व दर्द की समस्या से पाएं छुटकारा
इसके अलावा काली मिट्टी से शरीर की कई प्रकार की अस्वस्थता को दूर किया जा सकता है. यह शरीर की गंदगी को सोखकर ठंडक पहुंचाने का काम करती है. इसमें मौजूद तत्व त्वचा के लिए भी फायदेमंद होते हैं.
काली मिट्टी का उपयोग पेचिश, ऐंठन और अतिसार जैसे पेट संबधित बीमारियों में किया जा सकता है. इसमें पेडू पर काली मिट्टी की पट्टी बांधने से फायदा होता है. गठिया में भी यह पट्टी बेहद उपयोगी है. मासिक धर्म के समय होने वाली पीड़ा को भी इससे दूर किया जा सकता है.
सेहत की अन्य खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
(नोट: कोई भी उपाय अपनाने से पहले डॉक्टर्स की सलाह जरूर लें)