Prolonged Covid Infection Side Effects: कोरोना महामारी ने बीते 2 सालों में पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है. इस घातक बीमारी ने जहां लाखों लोगों की जान ले ली है वहीं करोड़ो लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं. बीमारी से ठीक होने के बाद भी लोगों में पोस्ट कोविड के कई लक्षण नजर आ रहे हैं. उन्हें कई तरह की शारीरिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उबरने में लंबा वक्त लग सकता है. हाल ही में दुनियाभर में कोरोना की तीसरी लहर ने हड़कंप मचाया है. नए वैरिएंट (Omicron) ने भी कई देशों में कहर बरपाया है. इस बीच एक रिसर्च सामने आई है जिसमें कहा गया है कि जो लोग लंबे वक्त तक कोरोना संक्रमित रहे हैं उनके शरीर पर इसका बड़ा दुष्प्रभाव हुआ है और उन्हें गंभीर खतरा है. लंबे संक्रमण के बाद ऐसे मरीजों के दिल की धड़कन पर भी असर पड़ सकता है.
hindustannewshub की खबर के अनुसार एक शोध में दी गई जानकारी के मुताबिक लंबे वक्त तक कोरोना संक्रमण होने से शरीर की वेगस नर्व (Vagus Nerve) की कार्यक्षमता पर इसका असर पड़ता है और वर्किंग कैपेसिटी कम हो जाती है. इसकी वजह से दिल की धड़कन पर भी इसका असर पड़ सकता है. वेगस नर्व हमारे दिल की धड़कन और बोलचाल की क्षमता को भी निर्धारित करती है. यह नर्व हमारे दिमाग से लेकर धड़ तक जाती है और इसका विस्तार दिल, फेफड़ों और आंतों तक होता है.
ये नर्व हमारे शरीर के लिए कितनी महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह भोजन को निगलने में हमारी गले की मांसपेशियों को भी नियंत्रित करती है. इसके साथ ही दिल की धड़कन, बोलने की क्षमता, पसीना आना और शरीर की अन्य गतिविधियों को कंट्रोल करती है.
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रिसर्च में सामने आई ये बात
लंबे वक्त तक कोरोना संक्रमित रहे मरीजों पर की गई इस रिसर्च को स्पेन की यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल जर्मन्स ट्राईएस आई पुंजोल (University Hospital Germans Trias i Punjol) के रिसर्चर्स द्वारा अंजाम दिया गया है. रिसर्चर्स के अनुसार लंबे वक्त तक कोरोना संक्रमित रहने पर मरीजों की वेगन नर्व्स की कार्यक्षमता प्रभावित होती है. इससे मरीजों को बोलने में कठनाई महसूस होना, खाना निगलने में दिक्कत, चक्कर आना, दिल की धड़कनें असामान्य हो जाना जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं.
रिसर्चर डॉ. गेम्मा लाडोस (Gemma Lados) का कहना है कि हमारी इस रिसर्च में सामने आए नतीजे लंबे वक्त तक कोरोना संक्रमित रहे मरीजों में सामने आने वाली अन्य समस्याओं को समझने में मदद कर सकते हैं. डॉ. लाडोस ने कहा कि लंबे वक्त तक कोरोना संक्रमण संभावित रुप से शरीर के कई अंगों को निष्क्रिय करने वाला सिंड्रोम है जो 10-15 फीसदी लोगों को प्रभावित कर सकता है. ये लक्षण हफ्तों से लेकर एक साल तक भी बने रह सकते हैं.
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रिसर्च टीम द्वारा 348 मरीजों को अपनी रिसर्च में शामिल किया गया था. इस दौरान लगभग 66 प्रतिशत मरीजों ने इस नर्व्स की कार्यक्षमता में आने वाली कमी की वजह से कम से के एक लक्षण के 14 महीने तक बने रहने की शिकायत की. इस रिसर्च को लेकर अप्रैल 2022 में लिस्बन में होने वाले यूरोपियन कांग्रेस ऑफ क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी एंड इंफेक्शियस डिजीज (ECCMID 2022) में प्रैक्टिकल स्टडी प्रस्तुत की जाएगी.
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