नई दिल्ली. कोरोना महामारी के आने के बाद मेडिकल उपकरणों की मांग एकाएक ऊपर पहुंच गई. इसके चलते खासतौर पर कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देखा गया कि थर्मामीटर से लेकर ऑक्सीमीटर, ब्लड प्रेशर जांचने की मशीन, ऑक्सीजन सिलेंडर को लेकर मारामारी रही. सिर्फ मेडिकल स्टोर्स पर उपलब्ध इन स्वास्थ्य संबंधी उपकरणों के चलते बाकी दुकानों या जगहों पर इनका मिलना मुश्किल हो गया और लोगों को कई गुना दाम देकर इन चीजों को खरीदना पड़ा. हालांकि अब केंद्र सरकार इन्हें लेकर संशोधन कर रही है. जिसके बाद सिर्फ मेडिकल स्टोर्स पर फार्मासिस्ट ही नहीं बल्कि कोई भी व्यक्ति इन्हें बेच सकेगा और व्यापार कर सकेगा.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कॉस्मेटिक्स एंड ड्रग्स एक्ट के अंतर्गत मेडिकल डिवाइस रूल्स में बदलाव किया गया है. इन्हें मेडिकल डिवाइसेज अमेंडमेंट रूल 2022 कहा जा सकता है. इसके तहत खास बात यह है कि अब 12 वीं पास कोई भी व्यक्ति मेडिकल के व्यवसाय के क्षेत्र में डिवाइसों की खरीद और ब्रिक्री कर सकता है. 12 वीं इन मेडिकल उपकरणों का व्यापार कर सकता है. इसके लिए अब फार्मासिस्ट की डिग्री या डिप्लोमा की जरूरत नहीं होगी और न ही लाइसेंस की जरूरत होगी. बिना लाइसेंस के भी वे ये व्यवसाय कर सकेंगे.
हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के द्वारा किए जा रहे नियमों में बदलाव को लेकर गया जा रहा है कि 12 वीं पास लोगों को सिर्फ पंजीकरण कराना होगा. रजिस्ट्रेशन के लिए एक साल का अनुभव भी अनिवार्य किया गया है. इस बारे में हिंदुस्तान लिवर के एमडी और एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के फोरम कॉर्डिनेटर राजीव नाथ कहते हैं कि यह एक अच्छा फैसला है. पहली बात तो ये कि मेडिकल उपकरणों की रीसेल करने वाले सभी विक्रेता अब ड्रग्स एक्ट के अंर्तगत आएंगे. इसके अलावा दूसरी बात ये है कि इस व्यवसाय की शुरुआत के लिए तय किए गए रजिस्ट्रेशन के लिए भी बहुत कम शर्तों को रखा गया है. इससे ज्यादातर लोग इन उपकरणों के कारोबार के लिए प्रेरित होंगे.
नाथ कहते हैं कि अभी भी बहुत सारे मॉल्स में कुछ चिकित्सा उपकरणों को बिना मेडिकल स्टोर्स के भी बेचा जाता है. इनमें कुछ उपकरण चश्मा, व्हील चेयर, व्यक्तिगत वजन मशीन, वयस्क डायपर, ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर, मास्क, सेनिटाइजर आदि हैं. ऐसे में अब जबकि सिर्फ रजिस्ट्रेशन मात्र से इन्हें बेचने की अनुमति मिलेगी तो यह बेहतर है. हालांकि मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री से जुड़े लोग अभी भी एक अलग चिकित्सा उपकरण कानून बनाने की सिफारिश कर रहे हैं ताकि छोटी-मोटी गलतियों को अपराधों से मुक्त कर सके क्योंकि मेडिकल डिवाइसेज ड्रग्स नहीं हैं.
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