शोधकर्ताओं के मुताबिक, नई प्रणाली विकासशील देशों के लिहाज से सुविधाजनक है. उन्होंने बताया कि यह बहुत सस्ती है और इसमें समय की बचत होती है. वैज्ञानिकों ने आगे बताया कि जिन विकासशील देशों में कोरोना की जांच जिनमें कोरोना के हल्के लक्षणों के मरीज, नर्सिंग होम निवासी, कर्मचारी और स्कूल के बच्चे शामिल हैं, की पूर्ण रूप से नहीं हो पा रही है, वहां ये प्रणाली इनके लिए वरदान साबित हो सकती है.
