दो साल तक के बच्चों को दी जाने वाली वैक्सीन में 22 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई
घटे हुए टीकों की वजह से बच्चों (Children) में संक्रामक रोगों के बढ़ने की सम्भावना अधिक है. इससे स्कूलों में उपस्थिति कम हो सकती है, सीखने में कमी और बीमारी में बढ़ोत्तरी हो सकती है.
- News18Hindi
- Last Updated:
September 25, 2020, 5:08 PM IST
बिलिंग रिकॉर्ड के अनुसार विश्लेषण किया गया जिसमें मेडिकेड और चिल्ड्रेन्स हेल्थ इंश्योरेंस प्रोग्राम शामिल हैं. दोनों ने करीब 40 मिलियन कम आय वाले बच्चों को कवर किया है. इसमें जो तथ्य सामने आए हैं, वह निम्नलिखित हैं.
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-दो साल तक के बच्चों को दी जाने वाली वैक्सीन में 22 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.-विकासात्मक समस्याओं के लिए समय-संवेदनशील जांच में भी 44 फीसदी की गिरावट आई.
-टेलीहेल्थ के बढ़ते प्रयोग के बाद भी 6.9 मिलियन मानसिक स्वास्थ्य के रोगी आए.
-डेंटिस्ट विजिट में 69 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.
डॉक्टर विजिट की प्रक्रिया
वयस्कों के स्वास्थ्य देखभाल में भी लगभग यही देखने को मिला. बंद के दौरान पुराने मरीजों ने अपने डॉक्टर विजिट की प्रक्रिया को स्थगित कर दिया. इसमें घुटनों और अन्य अंगों के रोगी भी शामिल हैं. बच्चों के मामले में इसे स्थगित करने से आगे जाकर खसरा या गले के रोग होने के काफी ज्यादा आसार हो सकते हैं. CMS के डाटा में मई के बाद हाल के दिनों में टीकाकरण में काफी तेजी देखी गई है. एजेंसी ने कहा कि बंद के दौरान छूटे मामलों को कवर करने के लिए और तेजी लाने की जरूरत है.
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घटे हुए टीकों की वजह से बच्चों में संक्रामक रोगों के बढ़ने की सम्भावना अधिक है. इससे स्कूलों में उपस्थिति कम हो सकती है, सीखने में कमी और बीमारी में बढ़ोत्तरी हो सकती है. सरकारी स्वास्थ्य कार्यक्रमों से काफी कम बच्चों का कोरोना वायरस में इलाज हुआ. डाटा में दर्शाया गया है कि 250000 लाख बच्चों का टेस्ट हुआ था इनमें से 32000 को इलाज मिला. मई के अंत तक 1000 से भी कम बच्चे अस्पताल में भर्ती किए गए.