Breathlessness in long covid patients : कोरोना वायरस के नए ओमिक्रॉन वेरिएंट (Omicron Variants) की दस्तक के बीच, कोविड से ठीक हुए मरीजों को होने वाली स्वास्थ्य संबंधी तकलीफों से जुड़ी रिसर्च भी लगतार जारी है. अब बेल्जियम की ब्रुसेल्स यूनिवर्सिटी अस्पताल (University Hospital Brussels, Belgium) की नई स्टडी में दावा किया गया है कि कोरोना के जिन मरीजों को ठीक होने के एक साल बाद भी फिजिकल एक्टिविटी करने के दौरान सांस लेने में तकलीफ होती है, उनके हार्ट को संभवत: क्षति पहुंची है. कोविड-19 के कारण श्वसन और हार्ट संबंधी परेशानियों (Respiratory and Cardiac Problems) की शिकायतें ज्यादा सामने आने लगी हैं. लंबे समय तक वैश्विक महामारी कोविड-19 रहने की सूरत में दमा, सांस लेने में दिक्कत जैसे लक्षण लंबे समय तक रह सकते हैं. रिसर्चर्स ने अब यह जानने की कोशिश की है कि क्या कोरोना पूरी तरह से ठीक होने के बाद हार्ट संबंधी तकलीफ (heart problems) शुरू हो जाती है.
इस स्टडी को 9 दिसंबर को ईएससी (ESC) यानी यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी (European Society of Cardiology) की साइंटिफिक कॉन्ग्रेस यूरोइको 2021 (EuroEcho 2021) में प्रस्तुत किया गया है.
क्या कहते हैं जानकार
ब्रुसेल्स यूनिवर्सिटी अस्पताल (University Hospital Brussels, Belgium) की डॉ मारिया लुजा लुशियन (Dr. Maria-Luiza Luchian) ने बताया कि उनके शोध में पाया गया कि कोविड-19 के हर तीसरे मरीज को हृदय संबंधी रोग हो जाते हैं.
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डॉ मारिया लुजा लुशियन (Dr. Maria-Luiza Luchian) के अनुसार, ‘इस स्टडी के नतीजे ये समझाने में मदद कर सकते हैं कि लंबे कोविड वाले कुछ मरीजों को एक साल बाद भी सांस लेने में तकलीफ क्यों होती है? और स्टडी से ये संकेत मिलता है कि ये हार्ट के परफोर्मेंस यानी दिल के काम करने की क्षमता में कमी से जुड़ा हो सकता है.’
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स्टडी में क्या निकला
इस रिसर्च के दौरान कोरोना के 66 मरीजों पर स्टडी की गई, जिनको पहले से कोई हार्ट डिजीज (Heart Disease) नहीं थी. ये सभी मरीज मार्च और अप्रैल 2020 के बीच अस्पताल में भर्ती हुए थे. अस्पताल से छुट्टी मिलने के एक साल बाद इन मरीजों पर चेस्ट कंप्यूटेड टोमोग्राफी (chest computed tomography) समेत कई टेस्ट किए गए, ताकि फेफड़े पर कोविड के प्रभाव को परखा जा सके. मरीजों की कार्डिएक इमेज (cardiac image) से पता चला कि उनके दिल की हालत अच्छी नहीं है.
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