एंटी कोविड वैक्सीन के लिए प्रतीकात्मक तस्वीर.
Covid-19 का प्रकोप अभी खत्म नहीं हुआ है. वैक्सीन (Anti Covid Vaccine) अभी तक बाज़ार में आई नहीं है, लेकिन Pfizer की वैक्सीन ने बाज़ी मारने का दावा किया है. इस वैक्सीन के नतीजे आने के बाद आपके हर सवाल का जवाब.
- News18India
- Last Updated:
November 11, 2020, 11:03 AM IST
हालांकि अभी वैक्सीन के असर को लेकर और भी स्टडीज़ चल रही हैं और कहा जा रहा है कि इन सकारात्मक नतीजों के बाद भी अगले कुछ महीनों बाद ही यह वैक्सीन बाज़ार में आएगी. दुनिया भर में 5 करोड़ से ज़्यादा लोगों के संक्रमित होने और 12.7 लाख लोगों की जानें जाने के बाद यह खबर एक उम्मीद दे रही है. Pfizer की इस वैक्सीन के बारे में सब कुछ जानिए.
वैज्ञानिकों ने क्या पाया? वैक्सीन के लास्ट स्टेज ट्रायलों में देखा गया कि करीब 44 हज़ार लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल हुआ, लेकिन इनमें से 94 लोगों को कोविड19 की चपेट में पाया गया. इस अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों ने समझा कि वैक्सीन 90 फीसदी कारगर है और साथ ही यह भी समझा जा रहा है कि 94 प्रतिभागियों को वैक्सीन डोज़ देने पर भी उन्हें कोरोना संक्रमण कैसे हुआ.
क्या यह नतीजाा अच्छा है? जी हां, किसी वैक्सीन को मंजूरी देने के लिए खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने तय किया है कि वैक्सीन को 50% से ज़्यादा असरदार होना चाहिए. वास्तविक जीवन में वैक्सीन का असर किस तरह का होगा, निर्माताओं का दावा है कि जैसा प्रयोगों में देखा गया, वैसा ही तो यह वैक्सीन काफी सुरक्षित मानी जा रही है. गौरतलब है कि पहले से इस्तेमाल की जा रही इन्फ्लुएंज़ा वैक्सीनें तो 40 से 60 फीसदी तक ही असरदार रही थीं.
क्या Pfizer वैक्सीन सेफ है? इस वैक्सीन के निर्माताओं ने इसके गंभीर साइड इफेक्ट न होने की बात कही है. कंपनी ने वैक्सीन के चार वर्जनों के साथ प्रयोग किए थे और उस वर्जन को हरी झंडी दी, जिसके इस्तेमाल से बुखार या थकान जैसे हल्के लक्षण ही दिखे. खबरों की मानें तो इस वैक्सीन के ट्रायल में जो प्रतिभागी शामिल हुए हैं, उनके स्वास्थ्य को अगले दो साल तक के लिए मॉनिटर किया जाएगा और वैक्सीन के असर को समझा जाएगा.
यह नई वैक्सीन पहले किसे मिलेगी? Pfizer का कहना है कि इस साल के आखिर तक वैक्सीन के 3 से 4 करोड़ डोज़ तक बनाए जाएंगे, जो डेढ़ से दो करोड़ लोगों के लिए काफी होंगे. अभी यह तय नहीं किया गया है कि वैक्सीन पहले किसे दी जाएगी लेकिन स्वाभाविक रूप से जो लोग हाई रिस्क में हैं, उनका नंबर पहले ही आएगा. दूसरी तरफ, इस वैक्सीन के 1.3 अरब डोज़ प्रति वर्ष बनाने की बात कही जा रही है, जो दुनिया भर की ज़रूरत के लिए पर्याप्त होगा.
आम लोगों तक कब पहुंचेगी वैक्सीन? दो महीने के सेफ्टी डेटा मिलने के बाद Pfizer नवंबर के तीसरे हफ्ते के आखिर तक इमरजेंसी मंज़ूरी के लिए आवेदन करने वाली है. इसके बाद वैक्सीन की सेफ्टी, ठीक उत्पादन आदि को लेकर बाहरी विशेषज्ञों का पैनल स्टडी करेगा. माना जा रहा है कि हाई रिस्क वाले लोगों को इस साल के आखिर तक और उसके बाद आम लोगों तक वैक्सीन पहुंचेगी, अगर सब ठीक और समयानुसार रहा तो.
क्या यह बुजुर्गों के लिए असरदार है? वैक्सीन उम्रदराज़ लोगों के लिए कितनी असरदार है, ट्रायलों के नतीजे में इस बात का खुलासा नहीं हुआ है. चूंकि Pfizer और BioNTech के क्लीनिकल ट्रायलों में 65 साल से ज़्यादा के भी कुछ प्रतिभागी थे, इसलिए कंपनी जल्द ही यह डेटा दे सकती है कि उम्रदराज़ लोगों पर वैक्सीन कितनी असरदार पाई गई.
बच्चों के लिए क्या है वैक्सीन का मतलब? इन ट्रायलों में पहले केवल 18 साल या उससे ज़्यादा उम्र के लोगों को ही शामिल किया गया था, लेकिन बाद में 16 और फिर अगले चरण में 12 साल तक की उम्र के कैंडिडेट भी क्लीनिकल ट्रायल में शामिल हुए. और भी कम उम्र के प्रतिभागियों पर वैक्सीन के ट्रायलों की योजना है.
वैक्सीन और ऑपरेशन वॉर्प स्पीड? अमेरिकी सरकार के इस ऑपरेशन के साथ Pfizer ने करीब 2 अरब डॉलर की डील जुलाई में की थी. इस डील के मुताबिक कंपनी को तब तक भुगतान नहीं होगा, जब तक वह 10 करोड़ डोज़ मुहैया न कराए. Pfizer का दावा है कि उसने मॉडर्ना और एस्ट्राज़ेनेका की तरह वैक्सीन विकसित करने या बनाने में सरकारी फंड का इस्तेमाल नहीं किया. Pfizer ने यह भी दावा किया कि कंपनी ऑपरेशन वॉर्प स्पीड का हिस्सा नहीं रही क्योंकि उसने कोई फंड सरकार से नहीं लिया.
बाकी वैक्सीनों का क्या? Pfizer की वैक्सीन के बाद बाकी वैक्सीनों पर क्या असर होगा या उनकी क्या अहमियत रह जाती है, इसे समझना चाहिए. एक तो सभी वैक्सीनों का विकास अहम है क्योंकि कोई एक दुनिया में सबकी ज़रूरत पूरी नहीं कर सकती. दूसरे इस वैक्सीन के असरदार पाए जाने का मतलब ये नहीं है कि बाकी वैक्सीन असरदार नहीं होंगी. सभी वैक्सीनों के विकास की तकनीक के पीछे यह छुपा हुआ है कि वो किस मरीज़ के लिए कितनी असरदार हो सकती हैं.
तो क्या अब सावधानियों की ज़रूरत नहीं? ऐसा न सोचें. सिर्फ अमेरिका ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में जहां भी कोरोना का प्रभाव बना हुआ है, सभी को विशेषज्ञ हिदायत दे रहे हैं कि मास्क पहनने, हाथ और चेहरा साफ रखने और निश्चित दूरी बनाए रखने की आदतें बरकरार रखें. ज़्यादातर विशेषज्ञ सहमत हैं कि कोई वैक्सीन जनता के बीच आ जाने के बाद भी मास्क पहनने की ज़रूरत बनी रहेगी.