बेहतर सेहत के लिए यह बहुत जरूरी है कि हम गहरी नींद लें और बेहतर तरीके से सोएं. अच्छी नींद हमें दिन भर उर्जा से भरी रखती है और हम रात में सोने के दौरान शरीर में हुए किसी भी तरह की समस्याओं को हील कर पाते हैं. हेल्थलाइन के मुताबिक, अगर रात में नींद में अधिक दखल होता है या हम मुंह खोलकर सोते हैं तो यह हमारी सेहत को काफी तरह से नुकसान पहुंच सकता हैं.
खुले मुंह सोने से ना केवल खर्राटे की समस्या बढ़ती है, सोने की अवधि भी कम होती जाती है जिसका शरीर पर कई तरह से बुरा असर पड़ने लगता है. तो आइए जानते हैं कि मुंह खोलकर सोने के क्या नुकसान हैं और हम इससे कैसे बच सकते हैं.
मुंह खोलकर सोने के नुकसान
1.बच्चों में हो सकती ये समस्याएं- हेल्थलाइन के मुताबिक, अगर बच्चे मुंह से सांस ले रहे हैं तो इससे उनके चेहरे की बनावट में बदलाव, दांत की शेप खराब होना, कैविटी, टॉन्सिल की समस्या, स्लो ग्रोथ, कॉन्संट्रेशन की कमी जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
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2. दांतों को पहुंचती है हानि- मुंह खोलकर सोना आपके दांतों को हानि पहुंचाता है. खुले मुंह सोने और मुंह के अंदर हवा आने-जाने से सलाइवा ड्राई हो जाता है जो लार बिल्डअप प्लाक को रोकता है और इससे मुंह में अवांछित बैक्टीरिया की संख्या बढ़ती है. इससे दांत खराब होने लगते हैं. सलाइवा की कमी से दांतों में कैविटीज, इंफेक्शन, मुंह से बदबू आना, नींद में खांसी या खराश बनने की दिक्कत आती है.
3.सांसों से बदबू आना- अगर आप मुंह खोलकर सोते हैं तो सुबह आपने महसूस किया होगा कि सांस से बदबू आने लगती है. इस सांस को हैलिटोसिस भी कहा जाता है जो लार को ड्राई करता है.
4.थकान बढ़ना- रात के वक्त अगर आप खुले मुंह सोते हैं तो आपके फेफड़ों में ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है. फेफड़ों में कम ऑक्सीजन थकान और कमजोरी की वजह बनता है. जिससे आप दिन भर या सोने के बाद भी थका हुआ महसूस करते हैं.
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5.होठों का फटना और सूखना- मुंह खोलकर सोने से होंठ ड्राई हो जाते हैं और फट जाते हैं. इसके अलावा मुंह के तरल पदार्थ सूखने से खाने को निगलने में भी परेशानी होती है.
6.हाई बीपी और हार्ट की बीमारियां- मुंह खोलकर सोने से हार्ट अटैक तक का खतरा पैदा हो सकता है. मुंह से सांस लेने के कारण सही मात्रा में शरीर को ऑक्सीजन नहीं मिल पाता और इससे धमनियों में ब्लड का फ्लो प्रभावित होने लगता है. ऑक्सीजन की कमी से ही हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ता है. वहीं शिशुओं में नींद की कमी या अनिद्रा की समस्या का सामना करना पड़ता है.
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