मास्क पहनने से सुरक्षा में किसी तरह का कोई खतरा नहीं है.
सर्जिकल मास्क (Surgical Mask) न हो, तो दो लेयर वाले कपड़े का मास्क भी इस्तेमाल किया जा सकता है. फेफड़े की बीमारी वाले लोगों को संक्रमण (Infection) से बचने और मास्क पहनने की सलाह भी दी गई.
अमेरिकन थोरेसिक सोसाइटी में पब्लिश इस रिसर्च में स्वस्थ मनुष्यों में ऑक्सीजन और कार्बन डाई ऑक्साइड के स्तर में परिवर्तन से जुड़ी समस्याओं का अध्ययन किया. इसमें मास्क पहनने से पहले क्रोनिक ऑब्सट्रुक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) से ग्रसित लोगों को भी शामिल किया गया. रिसर्च के वैज्ञानिकों ने कहा कि COPD से ग्रस्त लोगों को सांस लेने के लिए मेहनत करने की जरूरत होती और वे सांस की कमी से थक भी सकते थे. मियामी यूनिवर्सिटी के सह-लेखक माइकल पैन्पोस ने कहा कि हमने देखा कि गंभीर फेफड़े की समस्या वाले लोगों पर भी मास्क का असर कम से कम देखा गया.
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पैन्पोस ने कहा कि स्वस्थ लोगों में मास्क से सांस की कमी इसलिए हुई होगी, क्योंकि गैस एक्सचेंज में मास्क पहनना परिवर्तन का पर्याय नहीं है. उन्होंने समझाया कि जब ज्यादा हवा की जरूरत होने पर प्रतिबन्ध के साथ हवा अन्दर जाती है, तो थकान महसूस हो सकती है. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि तेज चलने पर आपकी सांस फूल सकती है, उसी तरफ कसकर मास्क बांधने से भी सांस फूलने की भावना को बढ़ावा मिल सकता है. इसके लिए उपाय यही बताया गया कि किसी की सांस फूलती है, तो उचित दूरी के साथ मास्क को हटाया जा सकता है. उन्होंने कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए मास्क पहनने के महत्व पर बल दिया.इसे भी पढ़ें: कंधे को मजबूत बनाएंगे ये योगासन, पीठ और कमर दर्द भी होगा दूर
रिसर्चरों के अनुसार अगर कोई सर्जिकल मास्क नहीं हो, तो दो लेयर वाले कपड़े का मास्क भी इस्तेमाल किया जा सकता है. फेफड़े की बीमारी वाले लोगों को संक्रमण से बचने और मास्क पहनने की सलाह भी दी गई. उन्होंने कहा कि मास्क पहनने से सुरक्षा में किसी तरह का कोई खतरा नहीं है. लोगों को यह नहीं मानना चाहिए कि मास्क से मौत होती है.