इस साल की शुरूआत में हज़ारों सैंपलों के आधार पर हुई काफी उलझी हुई वैज्ञानिक स्टडी में कहा गया था कि कम से कम अमेरिकी या कैलिफोर्नियाई लोगों के शरीर का सामान्य तापमान 97.5 F होता है. 1867 में जर्मन फिज़िशियन कार्ल वंडरलिक ने 25,000 लोगों पर स्टडी के बाद 98.6 F तापमान के बारे में बताया था और तबसे इसे एक तरह से यूनिवर्सल सिद्धांत के तौर पर मान लिया गया. लेकिन शोध होते रहे और अलग आंकड़ा बताते रहे. 2017 में 35,000 वयस्कों पर की गई स्टडी में देखा गया था कि औसत बॉडी टेंप्रेचर 97.9 F होता है.
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इसका मतलब यह तो साफ है कि पिछले करीब 150 सालों के दौरान मानव शरीर के सामान्य तापमान में गिरावट आई है. लेकिन इसका कारण क्या है? इस बारे में विशेषज्ञ क्या जान पाए हैं और कितना.
शरीर का सामान्य तापमान लंबे समय से 37°C माना जाता रहा है.
क्यों ठंडा हो रहा है शरीर?
पहले की तुलना में मानव शरीर का सामान्य तापमान कम से कम 1 F तक कम हुआ है. इसके कारणों के बारे में विज्ञान कुछ ठोस ढंग से नहीं जान पाया है, लेकिन वैज्ञानिकों ने कुछ संभावित कारण माने हैं और इनके बारे स्टडी की गई है.
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1. स्वास्थ्य सुविधाओं का आधुनिक होना और पहले की तुलना में संक्रमणों का खतरा कम हो जाना.
स्टडी : इस बारे में अध्ययन में कहा गया कि इस संबंध में प्रमाण नहीं मिले. एंटीबायोटिक्स या शरीर की जलन कम करने वाली दवाओं के असर को लेकर भी जब जाना गया तो इसका सामान्य तापमान में गिरावट के साथ कोई खास या सीधा रिश्ता नहीं दिखा.
2. लोग अब कम मेहनत करते हैं और वातावरण को एसी या हीटर जैसी मशीनों से नियंत्रित करते हैं.
स्टडी : वैज्ञानिकों ने जो अध्ययन किया, उसमें ऐसी बड़ी आबादी पर भी ध्यान दिया जो एडवांस तकनीकें इस्तेमाल नहीं करतीं. मौसम के हिसाब से उनके शरीर के सामान्य तापमान में बदलाव दर्ज किया गया और यहां भी इस तरह का कोई कारण नहीं मिला.
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कैसे सुलझे यह उलझन?
कुल मिलाकर स्थिति यह साफ है कि कारण कुछ भी हो लेकिन यकीनन मानव शरीर का सामान्य तापमान 98.6 F हर स्थिति और हर समय में नहीं होता. बल्कि इससे कम ही रहता है. क्यों? इस सवाल के जवाब के लिए अभी और वैज्ञानिक अध्ययनों का इंतज़ार करना होगा. विशेषज्ञ मान रहे हैं कि किसी एक कारण से ऐसा हुआ हो, यह तो नहीं लेकिन हां, ऐसे कई कारणों को मिलाकर तापमान में गिरावट आई हो, यह मुमकिन है.
डॉक्टरों को यह बात पहले ही मालूम है इसलिए इस तरह की स्टडीज़ से डॉक्टरों की प्रैक्टिस प्रभावित होने की कोई उम्मीद नहीं है. इसका एक पहलू यह भी है कि जिन थर्मोमीटरों का इस्तेमाल तापमान मापने के लिए होता रहा है, अब वो भी बदल चुके हैं. बहरहाल, निर्णायक वैज्ञानिक अध्ययनों के बाद ही कारण पता चल सकेगा.