डॉक्टरों ने ऐसी तकनीक खोजी जिसके जरिए मरीज की छोड़ी हुई सांस के ब्रीदप्रिंट से पता लग जाएगी पेट की बीमारी. (सांकेतिक फोटो)
कोलकाता के साल्टलेक स्थित एएमआरआई अस्पताल (AMRI Hospital) में एक हजार से अधिक मरीजों (Patients) पर इस तकनीक का इस्तेमाल किया गया. जिसके परिणाम संतोषजनक आए और यह एंडोस्कोपी टेस्ट (Endoscopy test) की तुलना में 96 प्रतिशत सटीक पाया गया है. वैज्ञानिकों ने इस तकनीक का पेटेंट (patent) करा लिया है.
- News18Hindi
- Last Updated:
October 3, 2020, 11:40 AM IST
इसे ‘पायरो-ब्रीद’ नाम दिया है. सेंटर के वैज्ञानिक डॉ. माणिक प्रधान ने बताया कि ‘पायरो-ब्रीद’ एक तरह का गैस एनालाइजर है, जो वापस आ रही सांस में मौजूद गैस व कणों के खास किस्म के ब्रीद-प्रिंट को स्कैन कर सकता है. ब्रीदप्रिंट एक तरह से फिंगरप्रिंट की तरह है, जो हर व्यक्ति का बिल्कुल अनूठा होता है.
कोलकाता के साल्टलेक स्थित एएमआरआई अस्पताल में एक हजार से अधिक मरीजों पर इस तकनीक का इस्तेमाल किया गया. जिसके परिणाम संतोषजनक आए और यह एंडोस्कोपी टेस्ट की तुलना में 96 प्रतिशत सटीक पाया गया है. वैज्ञानिकों ने इस तकनीक का पेटेंट करा लिया है और इसकी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की प्रक्रिया चल रही है. इसका व्यावसायिक उत्पादन अगले साल तक शुरू हो जाएगा.
किस तरह काम करेगा ब्रीदप्रिंट टेस्ट
डॉ. प्रधान ने बताया कि छोड़ी गई सांसों में गैसों के साथ पानी की महीन बूंदें होती हैं. इनसे पेट में अनेक बीमारियों के कारण बैक्टीरिया ‘हेलीकोबैक्टर पायलोरी’ की पहचान होती है. टीम ने सांसों में मौजूद विभिन्न किस्म की पानी की बूंदों में पानी के कई तत्व यानी आइसोटोप्स का अध्ययन किया. उनके अनुसार हेलीकोबैक्टर पायलोरी पेट में संक्रमण करने वाला एक बैक्टीरिया है यदि इसका शुरुआत में ही इलाज न किया जाए. तो यह पेप्टिक अल्सर व पेट व आंतों में कैंसर पैदा कर सकता है, अभी तक इस रोग को पहचानने के लिए एंडोस्कॉपी या बायोप्सी करनी पड़ती है, जो बेहद दर्दनाका प्रक्रिया है और यह रोगी की शुरुआती पहचान के लिए मुफीद भी नहीं है. इस तकनीक से बुजुर्गों, नवजात बच्चों और खासतौर पर गर्भवती महिलाओं को ज्यादा फायदा होगा.
100 रुपये से कम में होगा टेस्ट, एंडोस्कोपी में लगते है ढाई हजार
डॉ. प्रधान व पांच शोधकर्ताओं की टीम ने 5 साल के अनुसंधान के बाद ‘पायरो-ब्रिद’ उपकरण विकसित किया है. बाजार में इसकी कीमत करीब 10 लाख रुपये होगी, जबकि एंडोस्कोपी मशीन की कीमत 25 लाख रुपये होती है. एंडोस्कोपी टेस्ट करवाने में ढाई हजार रुपये का खर्च आता है, जबकि इस टेस्ट की लागत 100 रुपये से भी कम होगी