नमस्कार, मैं अनूप कुमार मिश्र, न्यूज 18 हिंदी के हेल्थ पॉडकास्ट में एक बार फिर हाजिर हूं आपकी सेहत से जुड़े नए मसले के साथ.
इन दिनों, दिल्ली-एनसीआर सहित देश के कई शहरों में पॉल्यूशन चरम पर पहुंच चुका है. वहीं, दीवाली पर होने वाली आतिशबाजी के बाद आबोहवा किसकी जहरीली सी हो चलेगी, इसका अंदाजा हम सब लगा सकते है.
ऐसे में सबसे बड़ी मुसीबत उनके लिए है, जो अस्थमा के मरीज हैं, जिन्हें सांस की बीमारी है या पोस्ट कोविड स्टेज में हैं. इन तीनों कैटेगरी के लोगों के लिए ये दो महीने काटना, किसी चुनौती से कम नहीं हैं.
पॉल्यूशन की वजह से खड़ी हुई चुनौतियों से कैसे लड़ें, और अपनी सेहत को किस तरह दुरुस्त रखे, इन तमाम सवालों का जवाब जानने के लिए हमने बात की इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल में पल्मोनोलॉजी एण्ड रेस्पिरेटरी मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. निखिल मोदी से.
डॉ. निखिल मोदी से बातचीत के दौरान, जिन सवालों पर चर्चा हुई, उसमें कुल छह मद्दों पर बात की, जिसमें ….
सवाल 1: दिल्ली-एनसीआर सहित देश के तमाम हिस्सों में सर्दी के साथ पॉल्यूशन ने भी दस्तक दे दी है. कई शहरों के पॉल्यूशन का स्तर खतरे के निशान को भी पार कर चुका है. ऐसे माहौल में, अस्थमा के मरीजों की परेशानियां खासा बढ़ जाती हैं. इनकी सेहत दुरुस्त रहे, इसको लेकर आप क्या सुझाव देना चाहेंगे.
सवाल 2: ये बात हुई कि पॉल्यूशन की वजह से हमें किस तरह से परेशानी होती है. यहां सवाल है कि दिल्ली-एनसीआर जैसे बेहद प्रदूषित शहरों में रहने वाले लोग इस पॉल्यूशन का सामना करते हुए सेहतमंद कैसे रहें.
सवाल 3: अभी आपने स्टीम लेने और गर्म पानी से गार्गल करने की सलाह दी. हम उस दौर में जाएं जब कोविड अपने चरम पर था और हर शख्स स्टीम ले रहा था, उस वक्त स्टीम को लेकर खास तौर पर सचेत किया गया था. उस वक्त यहां कहा गया कि स्टीम की वजह से गले में जख्म हो रहे हैं, और ये जख्म ब्लैक फंगस की वजह बन रहे हैं. जिसके बाद, लोगों में स्टीम को लेकर एक तरह का खौफ बैठ गया. ऐसे मे, स्टीम लेना कितना सही या गलत है. यदि सही है तो उसका सही तरीका क्या है?
सवाल 4: चलिए अब हम बात उनकी बात करते हैं, जो बीते समय में कोविड की चपेट में आ चुके हैं. इसमें बहुत बड़ी संख्या ऐसे मरीजों की है, जिसके लंग्स सीधे तौर पर गंभीर रूप से प्रभावित हुए थे. अब इस दीवाली में, कोविड का कहर झेल चुके मरीजों को किस तरह के एहतियात बरतने चाहिए, जिससे वे किसी दूसरी तरह की कॉम्प्लिकेशन में न फंसे.
सवाल 5: अस्थमा या सांस के मरीजों को एक एडवाइस बहुत कामनली दी जाती है कि हो सके तो कुछ टाइम दिल्ली एनसीआर से बाहर गुजारिए.
सवाल 6: ग्रीन क्रैकर्स को लेकर अब बात करते हैं. यह दावा है कि इनसे 30 फीसदी कम पॉल्यूशन होगा, बावजूद इसके, दिल्ली में पॉल्यूशन का जो स्तर है, वैसे में ग्रीन क्रैकर्स दिल्ली वालों के लिए कितना खतरनाक साबित हो सकते हैं.
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