आजकल के लाइफस्टाइल में कम उम्र में ही बालों के झड़ने की समस्या बहुत से लोगों में देखी गई है. लोग इसके लिए ना जाने क्या-क्या उपाय करते हैं, लेकिन अब अपने बालों को खोने वाले लाखों लोगों को एक नई दवा की बदौलत नई उम्मीद जगी है. द सन (The Sun) में छपी न्यूज रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में हुई एक स्टडी में पाया गया कि एक नई दवा से लगभग आधे लोगों में 6 महीने के भीतर पूरे बाल उग आए. साइंटिस्ट्स का कहना है कि ये दवा गंजेपन से निपटने के लिए नई दवाओं के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. इस दवा की रोजाना दो गोली लेने से एलोपेसिया एरीटा (Alopecia Areata) से निपटा जा सकता है. बता दें कि बाल झड़ने की समस्या को मेडिकल भाषा में एलोपेसिया एरीटा कहते हैं. एलोपेसिया एरीटा एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें इम्यून सिस्टम द्वारा बालों के रोम छिद्रों पर गलती से हमला किया जाता है, जिससे बाल झड़ते हैं.
आज के दौर में ये बहुत कॉमन प्रॉब्लम है. नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) के अनुसार, ब्रिटेन में सभी अलग-अलग उम्र के हर 10,000 लोगों में से 15 लोगों के इससे प्रभावित करने का अनुमान है. कुछ लोगों में केवल गंजेपन के कुछ छोटे पैच होते हैं और वे देख सकते हैं कि उनके बाल प्राकृतिक रूप से वापस बढ़ते हैं. लेकिन, दूसरे लोगों में खोपड़ी के सारे बाल झड़ जाते हैं. इस स्थिति का कोई इलाज नहीं है, लेकिन कुछ दवाएं रीग्रोथ को बढ़ावा देने (दोबारा बाल उगाने) में मदद कर सकती हैं.
कैसे हुई स्टडी
दवा कंपनी कॉन्सर्ट फार्मास्युटिकल्स (Concert Pharmaceuticals) ने अमेरिका में 706 लोगों को चुना, जिन्हें मध्यम से गंभीर एलोपेसिया एरीटा था. इन्हें तीन ग्रुप्स में बांटा गया, एक ग्रुप को दिन में दो बार 8 मिलीग्राम की गोली दी गई, दूसरे को 12 मिलीग्राम की दो बार डेली खुराक दी गई और तीसरे को प्लेस्बो (Placebo) पर रखा गया. बता दें कि प्लेस्बो एक ऐसी मेडिकल प्रैक्टिस है, जिसमें दवा का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, बल्कि भ्रम पैदा करके या अहसास के आधार पर मरीज का इलाज किया जाता है. यानी किसी मरीज को दवा की तरह दिखने वाली गोली या ‘नकली’ इंजेक्शन दिया जाता है, लेकिन असल में वो दवा नहीं होती है.
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स्टडी में क्या निकला
ये देखा कि दवा लेने वाले मरीजों के सिर में डमी दवा लेने वाले मरीजों की तुलना में ज्यादा बाल उगना शुरू हो गए. लगभग 42 प्रतिशत और 30 प्रतिशत रोगियों ने देखा कि क्रमशः 12 मिलीग्राम या 8 मिलीग्राम की खुराक लेने पर उनके बाल कम से कम 80 प्रतिशत या उससे ज्यादा उग आए थे. कुछ रोगियों ने सिरदर्द और मुंहासे जैसे साइड इफेक्ट्स का भी अनुभव किया. ये एलोपेसिया दवा के क्लिनिकल ट्रायल का अंतिम चरण था, जिसे सीटीपी-543 नाम दिया गया था. रैंडमाइज्ड, डबल-ब्लाइंड और प्लेसीबो-कंट्रोल के साथ ये स्टडी का सबसे हाई स्टैंडर्ड था.
क्या कहते हैं जानकार
इस स्टडी में शामिल येल यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. ब्रेट किंग (Dr. Brett King) ने कहा, “ये एलोपेसिया एरीटा के लिए नए इलाज को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. मैं सीटीपी-543 के साथ पहले फेस थ्री ट्रायल से इस तरह के पॉजिटिव रिजल्ट्स देखकर बहुत खुश हूं. इस चुनौतीपूर्ण बीमारी के इलाज की बहुत ज़रूरत है. THRIVE-AA1 ट्रायल के नतीजे बताते हैं कि सीटीपी-543 संभावित रूप से एलोपेसिया एरीटा के इलाज के लिए एक महत्वपूर्ण थेरेपी प्रदान कर सकती है. सीटीपी-543 में एलोपेसिया एरीटा के रोगियों को बेस्ट इलाज देने की क्षमता है, जो कि एक ऐसी बीमारी है, जिसे लंबे समय से नजरअंदाज किया गया है.”
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वहीं, दवा फर्म को उम्मीद है कि दवा नियामक फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) सीटीपी-543 को मंजूरी देंगे, जिससे ये अमेरिका में एलोपेसिया एरीटा के ‘वन ऑफ द फर्स्ट’ ट्रीटमेंट्स में से एक बन जाएगा.
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Tags: Health, Health News, Lifestyle
FIRST PUBLISHED : May 27, 2022, 12:42 IST