गर्मी के मौसम में अक्सर लोग लू लगने से परेशान रहते हैं. यह एक कॉमन समस्या है, लेकिन समय पर इलाज भी जरूरी है. गर्मी में शुष्क और बेहद गर्म हवा चलने को लू (Loo) कहा जाता है. अप्रैल से लेकर जून के महीने में यह समस्या अधिक होती है, क्योंकि इन तीन महीनों में ही पारा बहुत हाई होता है और बेहद गर्म और ड्राई हवाएं बहती हैं. पारस हॉस्पिटल (गुरुग्राम) के सीनियर कंसल्टेंट-इंटरनल मेडिसिन डॉ. संजय गुप्ता कहते हैं कि लू तब लगती है, जब तापमान बहुत अधिक होता है. जब कोई व्यक्ति गर्म हवा और धूप में देर तक रहता है, उसका चेहरा और सिर देर तक धूप और गर्म हवा के संपर्क में आता है, तो लू (Heat wave) लग जाती है. इससे व्यक्ति के शरीर का तापमान भी बहुत अधिक बढ़ जाता है.
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लू और हीट स्ट्रोक में अंतर
डॉ. संयज गुप्ता कहते हैं कि लू और हीट स्ट्रोक में फर्क होता है. हीट स्ट्रोक एक ऐसी स्थिति है, जिसमें एक मरीज लगातार अधिक हीट या गर्मी में रहने से बेहोश या बेसुध हो जाता है. लू तब लगती है, जब हवा में इतनी गर्मी आ जाती है कि व्यक्ति का बॉडी टेम्परेचर बढ़ जाता है, लेकिन इसमें हीट स्ट्रोक की तरह मरीज को बेहोशी या चक्कर आने जैसी समस्या नहीं होती है. लू लगने में शरीर का तापमान कम से कम 102 डिग्री से ऊपर हो जाता है.
लू लगने के लक्षण क्या होते हैं
यदि किसी व्यक्ति को लू लग गई है, तो वह डिहाइड्रेशन का शिकार हो सकता है, उसके शरीर में पानी की कमी हो जाएगी. शरीर का तापमान लगभग 101 या 102 डिग्री से ऊपर होगा और उसे बार-बार प्यास लगेगी. युवाओं की तुलना में बच्चों और बुजुर्गों को लू लगने की संभावना बहुत अधिक होती है. ऐसा इसलिए, क्योंकि इनके हीट का रेगुलेटरी मेकैनिज्म जल्द ही डिसअरेंज में चला जाता है. ऐसे में बुजुर्ग या बच्चे बहुत देर तक गर्मी में रहेंगे, तो लू लगने या हीट स्ट्रोक होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है.
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लू से बचाव के उपाय
डॉ. संजय कहते हैं, जब भी आप घर से बाहर जाएं खुद को हाइड्रेटेड रखें. अपने साथ पानी का बोतल और छाता जरूर लेकर चलें. बहुत देर तक बाहर धूप और गर्म हवा में घूमने से बचें. जितनी देर आप गर्म हवा में खुद को एक्सपोज रखेंगे, लू लगने की संभावना उतनी ही ज्यादा बढ़ जाती है. शरीर के संपर्क में गर्म हवा जितनी अधिक आएगी, उतनी ही जल्दी आप लू के शिकार होंगे.
डॉ. आगे बताते हैं कि कार में जो लोग बाहर जाते हैं, उन्हें लू जल्दी नहीं लगती है. बाइक, साइकिल पर चलने वाले, ठेले पर सामान बेचने वाले, मजदूरी करने वालों को लू सबसे अधिक लगती है. ऐसे में संभव हो तो इन्हें सुबह के समय अपना काम करना चाहिए. साढ़े ग्यारह बजे से लेकर शाम 4 बजे के बीच धूप में ज्यादा देर ना रहें. मजबूरी है रहना, तो अपने ठेले के ऊपर या जहां भी बाहर काम कर रहे हैं, वहां छाता या कवर लगा लें.
खुद को हाइड्रेट रखने के लिए ठंडी शिकंजी, ओआरएस, पानी, नारियल पानी जैसे तरल पदार्थ का सेवन जरूर करें. ताजे फल जैसे तरबूज, खरबूजा, खीरा, पपीता, संतरा, नारियल पानी का सेवन करें. दोपहर के समय धूप और गर्म हवा तेज होती है, इस समय बेफिजूल घर से बाहर जाने से बचें. जो लोग कार से चलते हैं, वो पार्क की गई गाड़ी का शीशा थोड़ा सा खोलकर रखें. प्रॉपर वेंटिलेशन होने के बाद ही कार में ऐसी ऑन करें, क्योंकि बंद कार में गर्मी, तपिश बहुत होती है. अचानक कार में बैठते ही ऐसी ऑन करने से भी हीट स्ट्रोक, लू लग सकती है.
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