भारत में भी समय-समय पर गांजे को कानूनी किए जाने को लेकर बहस होती रही है, लेकिन इन दिनों गांजा भारत में अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत के बाद सामने आए बॉलीवुड के ड्रग्स कनेक्शन को लेकर सुर्खियों में है और अमेरिका में इसलिए खबरों में है क्योंकि वहां कई राज्यों में इसे कानूनी घोषित किए जाने का सिलसिला शुरू हो रहा है. इस बीच आपको बताते हैं कि मेडिकल गांजा क्या है और इससे जुड़े तमाम दिलचस्प फैक्ट्स क्या हैं.
ये भी पढ़ें :- देश में जब भांग गैर कानूनी नहीं है तो गांजा और हैश क्यों?
क्या होता है मेडिकल गांजा?यह अस्ल में उसी पौधे से उसी तरह हासिल किया जाता है, जिस तरह घोषित ड्रग्स वाला गांजा. यानी भांग के पौधे से मिलने वाला गांजा ही मेडिकल गांजा है, यह कोई अलग चीज़ नहीं है. लेकिन जब इसका इस्तेमाल संतुलित मात्रा में, किसी रोग के इलाज के लिए, किसी दवाई के उत्पादन में किया जाता है, तब इसे मेडिकल गांजा कहा जाता है. तकनीकी रूप से मेडिकल गांजे को इस तरह समझा जा सकता है कि गांजे में 100 से ज़्यादा केमिकल गुण होते हैं, लेकिन इनमें से औषधीय महत्व के केमिकलों का इस्तेमाल किए जाने की स्थिति में यह गांजा नशा नहीं दवाई हो जाता है.
गांजे में 100 से ज़्यादा केमिकल होते हैं और रोग के हिसाब से निश्चित केमिकलों का इस्तेमाल इलाज में होता है.
उदाहरण के तौर पर गांजे में मौजूद Delta-9-tetrahydrocannabinol (THC) और cannabidiol (CBD) नामक ये दो केमिकल मुख्य रूप से औषधि के लिए इस्तेमाल होते हैं. वह केमिकल THC ही है, जिसके सेवन से लोग नशे की अवस्था महसूस कर पाते हैं.
ये भी पढ़ें :- कैसे अरब वर्ल्ड ने छोड़ा पुराने दोस्त पाकिस्तान का साथ, क्यों थामा भारत का हाथ?
किस रोगों में इस्तेमाल होता है मेडिकल गांजा?
इस बारे में काफी रिसर्च चल रही है कि किन बीमारियों के इलाज में गांजा उपयोगी साबित हो सकता है. अल्ज़ाइमर, कैंसर, इम्यून सिस्टम को प्रभावित करने वाले रोगों, मिरगी, ग्लॉकोमा, सीज़ोफ्रेनिया, नौसिया के अलावा मांसपेशियों और मानसिक समस्याओं के क्षेत्र में भी गांजे का क्या उपयोग हो सकता है, इसे समझा जा रहा है.
अब तक यह पता चल चुका है कि गांजे के इस्तेमाल से दर्द, नौसिया और उल्टी जैसे लक्षणों से राहत मिलती है. वैज्ञानिकों ने यह भी माना है कि कीमोथैरेपी के बाद दिखने वाले कुछ लक्षणों को भी मेडिकल गांजे की मदद से काबू किया जा सकता है.
कैसे किया जाता है मेडिकल गांजे का सेवन?
दवाई के तौर पर गांजे के इस्तेमाल के लिए स्मोकिंग सबसे आसान तरीका है. एक डिवाइस होता है वेपराइज़र, जिसके ज़रिये गांजे को नाक से सांस के साथ खींचा जा सकता है. इसके अलावा किसी चीज़ में मिलाकर खाना, क्रीम, लोशन आदि में मिलाकर त्वचा पर लगाना या जीभ पर किसी द्रव में मिलाकर कुछ बूंदें डालने जैसे तरीकों से मेडिकल गांजे का सेवन करवाया जाता है. विशेषज्ञ रोग की स्थिति और इलाज के मद्देनज़र तय करते हैं कि इसका सेवन किस तरह उचित होगा.
ये भी पढ़ें :- ओबामा ने क्यों किए राहुल, सोनिया, मनमोहन सिंह पर कमेंट? पब्लिसिटी स्टंट!

मेडिकल गांजे के सेवन के भी साइड इफेक्ट होते हैं.
यह भी ध्यान रखने लायक है कि मेडिकल गांजे के साइड इफेक्ट भी होते हैं. डिप्रेशन, थकान, भ्रम, लो ब्लड प्रेशर जैसे साइड इफेक्ट सामान्य तौर पर देखे जाते हैं. इसके अलावा, मरीज़ की स्थिति के अनुसार कुछ और भी साइड इफेक्ट्स देखे जा सकते हैं.
ये भी पढ़ें :- वो भारतीय लड़की, जिसके लिए क्वीन विक्टोरिया ने पलटा था ब्रिटिश जज का फैसला
कैसे मिलता है मेडिकल गांजा?
आखिर में यही सवाल सबसे ज़्यादा अहमियत रखता है कि मेडिकल गांजा कहां से हासिल किया जा सकता है. जिन राज्यों में मेडिकल गांजा वैध है, वहां किसी अधिकृत डॉक्टर के प्रेस्क्रिप्शन के बाद आपको एक मेडिकल गांजा आईडी कार्ड इश्यू हो जाता है. इस कार्ड के जारी होने के बाद इसे डिस्पेंसरी से लिया जा सकता है. अमेरिका में इस व्यवस्था के तहत दो बातें ध्यान रखने वाली हैं कि एक तो हर डॉक्टर का प्रेस्क्रिप्शन मेडिकल गांजे के लिए मान्य नहीं होता और राज्यों के अनुसार मेडिकल गांजे के लिए रोगों या स्थितियों की एक निश्चित लिस्ट है.
ये भी पढ़ें :- दक्षिण भारत में क्यों बैन किए जा रहे हैं ऑनलाइन गेम्स?
साल 2018 में कुछ रोगों के इलाज के लिए मेडिकल गांजे को अमेरिका के करीब दो तिहाई राज्यों ने मंज़ूरी दे दी थी. यह भी गौरतलब है कि भारत में भी इस बहस के बीच हाल में, कामेडी कलाकार भारती सिंह और उनके पति हर्ष को गांजा रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया.