इस रोग के बारे में हो सकता है कि आपने पहले सुना हो, लेकिन मौजूदा हालात में यह गंभीर मामला हो गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो जो मामले देखे जा रहे हैं, उनमें इसके प्रचलित इलाज की दवाएं जैसे एज़िथ्रोमाइसिन, पेनिसिलिन, सेफ्ट्रियाक्सोन आदि कई रसायन बेअसर तक साबित हो रहे हैं.
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आखिर क्या बला है सुपर गोनोरिया?यौन संबंधों से फैलने वाला एक संक्रमण है सुपर गोनोरिया, जिसे ‘क्लैप’ भी कहा जाता है. यह पुरुषों व महिलाओं दोनों को होता है. इस रोग का कारण नीज़ेरिया गोनोरॉए नाम को बैक्टीरिया है, जो सामान्य तौर पर लिंग और योनि के द्रव में होता है. इस बैक्टीरिया का संक्रमण तकरीबन हर प्रकार की यौन क्रियाओं के ज़रिये संभव है.
प्रतीकात्मक तस्वीर.
विशेषज्ञों के हवाले से बताया गया है कि गोनोरिया का मामला जब गंभीर हो जाता है, तो इसे सुपर गोनोरिया कहते हैं. दूसरे शब्दों में ये वो स्ट्रेन है, जो एंटीबायोटिक दवाओं के खिलाफ एक प्रतिरोध पैदा कर लेता है यानी इस पर प्रचलित दवाएं असर नहीं करतीं. विशेषज्ञ यह भी कह रहे हैं कि इसके लिए वैकल्पिक इलाज खोजने का वक्त आ चुका है.
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क्या इससे बचाव संभव है?
गोनोरिया से बचने के लिए हिदायत दी जाती है कि सेक्स के दौरान सुरक्षा का पूरा खयाल रखा जाए. समझने की बात यह है कि कंडोम के इस्तेमाल से इस संक्रमण से बचाव हो ही जाएगा, यह गारंटी नहीं होती लेकिन ठीक ढंग से इस तरह के उपाय अपनाने से संक्रमण होने की आशंका कम ज़रूर हो जाती है.
गोनोरिया से बचाव के लिए गर्भनिरोधक गोलियों जैसे बचाव कारगर साबित नहीं होते. विशेषज्ञ बताते हैं कि ओरल सेक्स के दौरान डेंटल डैम्स के इस्तेमाल से इस संक्रमण की आशंका को कम किया जा सकता है. अगर किसी गर्भवती को गोनोरिया की पुष्टि होती है तो संभव है कि उसके शिशु में भी यह संक्रमण हो.
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क्या हैं गोनोरिया के लक्षण?
पुरुषों में इस बीमारी के लक्षण 10 दिनों में दिख सकते हैं जबकि महिलाओं में इस रोग से ग्रस्त होने पर लक्षण दिखते ही नहीं हैं. गोनोरिया ग्रस्त पुरुषों को पीला, सफेद या हरा डिस्चार्ज होने के लक्षण दिखना सबसे सामान्य है. इसके अलावा, मूत्रत्याग के समय जलन या फिर प्राइवेट पार्ट की बाहरी त्वचा पर सूजन भी लक्षण हो सकते हैं. इस तरह की जलन व सूजन के लक्षण महिलाओं को दिखें तो उन्हें भी संक्रमण की आशंका हो सकती है.
हालांकि गुदा या गले में बैक्टीरिया का संक्रमण होने पर लक्षण दिखना मुश्किल हो जाता है.
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कहां कैसी समस्या है यह रोग?
गोनोरिया सुपरबग के केस फ्रांस, जापान और स्पेन के साथ ही इस साल ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में भी देखे गए. जानकारों की मानें तो इसके लिए इलाज के विकल्प तलाशना बेहद ज़रूरी हो गया है कि क्योंकि रोगियों से दूसरे व्यक्तियों में इसके फैलने को रोकना बहुत मुश्किल होगा. सीडीसी के मुताबिक 2014 से गोनोरिया के केस 63 फीसदी तक बढ़ चुके हैं.

सुरक्षित सेक्स से गोनोरिया से बचाव संभव है.
खतरा यह भी है कि इस संक्रमण के कारण एचआईवी के फैलने की आशंका भी बढ़ जाती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक यूके में गोनोरिया की रफ्तार बहुत तेज़ है और 2030 तक यहां सवा चार लाख केस तक हो सकते हैं. इस रोग का इलाज सामान्य तौर पर एंटीबायोटिक्स के साथ किया जाता है, लेकिन सुपर गोनोरिया के कुछ केसों में एंटीबायोटिक्स के बेअसर हो जाने तक की बात सामने आने से चिंता बढ़ रही है.
क्या जानलेवा है सुपरबग?
अब सवाल यह है कि क्या गोनोरिया संक्रमित व्यक्ति की मौत हो सकती है? तो जवाब यह है कि ऐसा न के बराबर मामलों में ही संभव है. लेकिन यह रोग खतरनाक इसलिए है क्योंकि इससे लंबे समय के लिए पेट और पेल्विक हिस्से में तकलीफें होती हैं, जिससे महिलाओं में बांझपन या गर्भधारण व शिशु जन्म संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं.
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पुरुषों में भी अगर इस रोग का इलाज ठीक से न हो सके तो नपुंसकता नतीजा हो सकती है. कुछ दुर्लभ मामलों में गोनोरिया कुछ और अंगों को भी प्रभावित कर देता है. सलाह दी जाती है कि प्राइवेट पार्ट या सेक्स से जुड़ी किसी भी समस्या को गुप्त रोग मानकर आप उसे छुपाएं नहीं बल्कि विशेषज्ञ की सलाह लें और ज़रूरी जांचों के बाद सही इलाज करवाएं.