खबरों की मानें तो एक बायोलॉजिकल फार्मा फैक्ट्री ने जानवरों के इस्तेमाल के लिए ब्रूसेला वैक्सीन बनाने के लिए एक्सपायर हो चुके कीटनाशकों और सैनेटाइज़रों का इस्तेमाल किया था. बीते जुलाई और अगस्त महीनों में फैक्ट्री ठीक तरीके से वेस्ट गैस से बैक्टीरिया को नष्ट कर पाने में नाकाम रही. इस वजह से brucellosis महामारी फैली. ये क्या बीमारी है? इससे जुड़ी तमाम जानकारियां यहां पाइए.
क्या होती है brucellosis बीमारी?
बैक्टीरिया से होने वाली यह बीमारी मुख्य रूप से मवेशियों, सुअरों, बकरियों, भेड़ों और कुत्तों को संक्रमित करती है. मनुष्यों में यह बीमारी तब हो सकती है जब वो इससे संक्रमित जानवरों के सीधे संपर्क में आएं या फिर किसी तरह से संक्रमित जानवरों के मांस या आहार का सेवन करें. इन संक्रमित जानवरों के किसी भी प्रोडक्ट को इनहेल करने से भी लोग संक्रमित हो सकते हैं.ये भी पढ़ें :- खून पसीना बहाया गया, मुफ्त में नहीं मिला था देश को ‘संडे का वीकली ऑफ’
वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि भेड़ों और बकरियों के गैर पाश्चुरीकृत दूध या चीज़ का सेवन करने से यह बीमारी हो सकती है. यह भी अहम है कि इस संक्रमण का मनुष्यों से मनुष्यों में होना अब तक काफी दुर्लभ बात है.
क्या हैं brucellosis के लक्षण?
इस संक्रमण के प्रमुख लक्षणों में बुखार, पसीना, बेचैनी, भूख न लगना, सिरदर्द और मांसपेशियों का दर्द शुमार है. विशेषज्ञ बताते हैं कि इस बीमारी के कुछ लक्षण लंबे समय तक बने रह सकते हैं, जबकि कुछ तो हमेशा रह सकते हैं. बार बार बुखार आना, आर्थराइटिस, अंडकोषों की सूजन, हृदय में सूजन, न्यूरॉलॉजिक समस्याएं, गंभीर थकान, डिप्रेशन और लिवर की सूजन ऐसे लक्षण हैं.
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क्या है brucellosis से बचाव?
रोग नियंत्रण केंद्र (CDC) की मानें तो लंझाउ में वो लोग इस रोग से संक्रमित हुए, जिन्होंने बैक्टीरिया युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन किया या फिर बैक्टीरिया की मौजूदगी वाले वातावरण में सांस ली. कहा गया है कि इस बीमारी से बचाव के लिए लोगों को गैर पाश्चुरीकृत डेयरी प्रोडक्ट का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. घरेलू जानवरों को वैक्सीन दिलवाने, दस्ताने पहनने और मांस को खाने से पहले अच्छी तरह पका लेने की हिदायतें दी गई हैं.
जो लोग जानवरों के फार्म या कसाइखानों में काम करते हैं, उनके लिए इस बीमारी की चपेट में आने का खतरा सबसे ज़्यादा बताया गया है. साथ ही जानवरों के डॉक्टरों के लिए भी इसलिए उन्हें पूरी सावधानियां बरतने के सुझाव दिए गए हैं.
कोविड 19 के बाद से ये रोग फैले
चीन के अंग्रेज़ी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने मार्च में रिपोर्ट किया था कि युन्नान इलाके में हैंटावायरस से पीड़ित एक व्यक्ति की मौत हुई थी. हालांकि चूहे व गिलहरी जैसे कुतरने वाले जानवरों से फैलने वाले इस वायरस से संक्रमण का पहला केस 1993 में सामने आ चुका था. दूसरी तरफ, असम और अरुणाचल प्रदेश में अफ्रीकन स्वाइन फीवर (AFS) से हज़ारों सुअरों की मौत सुर्खियों में रही थी.