कपालभाति
कपालभाति बहुत ऊर्जावान उच्च उदर श्वास व्यायाम है. कपाल अर्थात मस्तिष्क और भाति यानी स्वच्छता अर्थात ‘कपालभाति’ वह प्राणायाम है जिससे मस्तिष्क स्वच्छ होता है और इस स्थिति में मस्तिष्क की कार्यप्रणाली सुचारु रूप से संचालित होती है. वैसे इस प्राणायाम के अन्य लाभ भी हैं. लीवर किडनी और गैस की समस्या के लिए बहुत लाभकारी है. कपालभाति प्राणायाम करने के लिए रीढ़ को सीधा रखते हुए किसी भी ध्यानात्मक आसन, सुखासन या फिर कुर्सी पर बैठें. इसके बाद तेजी से नाक के दोनों छिद्रों से सांस को यथासंभव बाहर फेंकें. साथ ही पेट को भी यथासंभव अंदर की ओर संकुचित करें. इसके तुरंत बाद नाक के दोनों छिद्रों से सांस को अंदर खीचतें हैं और पेट को यथासम्भव बाहर आने देते हैं.कपालभाति के फायदे
ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है
सांस संबंधी बीमारियों को दूर करमे में मदद मिलती है. विशेष रूप से अस्थमा के पेशेंट्स को खास लाभ होता है.
महिलाओं के लिए बहुत लाभकारी
पेट की चर्बी को कम करता है
पेट संबंधी रोगों और कब्ज की परेशानी दूर होती है
रात को नींद अच्छी आती है
ये लोग कपालभाति न करें
प्रेग्नेंट महिलाओं को इसे करने से बचना चाहिए
जिनकी कोई सर्जरी हुई हो वह इसे न करें
गैसट्रिक और एसिडिटी वाले पेशेंट्स इसे धीरे-धीरे करने की कोशिश करें.
पीरियड्स में बिल्कुल न करें.
हाई बीपी और हार्ट संबंधी रोगों के पैशेंट्स इसे करने से बचें.
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मलासन
मल निकालते वक्त हम जिस अवस्था में बैठते हैं उसे मलासन कहते हैं. बैठने की यह स्थति पेट और पीठ के लिए बहुत ही लाभदायक रहती है. दोनों घुटनों को मोड़ते हुए मल त्याग करने वाली अवस्था में बैठ जाएं. फिर दाएं हाथ की कांख को दाएं और बाएं हाथ की कांख को बाएं घुटने पर टिकाते हुए दोनों हाथ को मिला दें (नमस्कार मुद्रा). उक्त स्थिति में कुछ देर तक रहने के बाद सामान्य स्थिति में आ जाएं.
मलासन के फायदे
मलासन से घुटनों, जोड़ों, पीठ और पेट का तनाव खत्म होता है और इनका दर्द कम होता है. इससे कब्ज और गैस की समस्या से भी मुक्ति मिलती है.
सेतुबंध आसन
इस आसन को करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं. इसके बाद अपने घुटनों को मोड़ें. अब गहरी सांस लेते हुए अपनी कमर को उठाएं. इस स्थिति में 20-30 सेकंड तक रहें. इस आसन को करने के दौरान धीरे धीरे सांस लें, सांस छोड़ते रहें. फिर सांस को छोड़ते हुए जमीन पर आ जाएं. आप इसे कम से कम पांच बार कर सकते हैं.
शशकासन
शशकासन को करते वक्त व्यक्ति की खरगोश जैसी आकृति बन जाती है इसीलिए इसे शशकासन कहते हैं. इसे करने के लिए सबसे पहले बैठ जाएं. अब अपने दोनों हाथों को श्वास भरते हुए ऊपर उठा लें. इसके बाद सामने की ओर झुकते हुए दोनों हाथों को आगे समानांतर फैलाते हुए हथेलियां को जमीन पर टिका दें. इसके बाद अपना माथा भी जमीन पर टिका दें.
शशकासन के फायदे
यह आसन पेट, कमर और हिप के फैट को कम करके आंत, यकृत और गुर्दों को मजबूती देता है. इस आसन के नियमित अभ्यास से तनाव, क्रोध, चिड़चिड़ापन आदि भी दूर होते हैं. इस आसन को करने से मन भी शांत रहता है. अगर पेट या सिर संबंधी कोई समस्या हो तो इस आसन को न करें.
प्राणायाम
प्राणायाम की तीन अवस्थाएं होती हैं. पूरक, कुंभक और रेचक. सांस को अंदर खींचने की प्रक्रिया को पूरक कहते हैं. सांस को अंदर रखने की प्रक्रिया को कुंभक और अंदर रुकी हुई सांस को बाहर नियंत्रित तरीके से छोड़ने की प्रक्रिया रेचक कहलाती है. प्राणायाम में इन्हीं तीनों क्रियाओं की गति को नियंत्रित किया जाता है. पंद्रह से तीस मिनट तक किया जाने वाला प्राणायाम आपको बीमारी से कोसों दूर रख सकता है और आपके शरीर को स्वस्थ रख सकता है.
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प्राणायाम के लाभ
कई बार होता कि लाइफ में सब कुछ सही चल रहा होता है फिर भी हम तय नहीं कर पाते परेशान क्यों है. प्राणायाम से खुद को समझने का मौका मिलता है. प्राणायाम मानसिक, शारीरिक, और आध्यात्मिक रूप से हमें फायदा पहुंचाता है. नियमित प्राणायाम करने से आप न केवल बाहरी तौर पर निखरते हैं बल्कि अांतरिक तौर पर कहीं ज्यादा मजबूत होते हैं.